Technical Analysis in Hindi | टेक्निकल एनालिसिस क्या है और कैसे करें?
Technical Analysis in Hindi: जो लोग शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते हैं उनके लिए तकनीकी विश्लेषण या टेक्निकल एनालिसिस सीखना बहुत जरूरी है। टेक्निकल एनालिसिस के द्वारा आप किसी भी स्टॉक के प्राइस मूवमेंट की भविष्यवाणी कर सकते हैं।
अगर आप बिना टेक्निकल एनालिसिस के ट्रेडिंग करते हैं तो आपको मुनाफे की बजाए नुकसान होगा यह बिल्कुल हवा में तीर चलाने जैसा है।
लेकिन वहीं दूसरी ओर कोई अन्य ट्रेडर;
- चार्ट पेटर्न को अच्छे से समझता है,
- स्टॉक का मोमेंटम और उसका वॉल्यूम देखता है,
- अलग-अलग टूल्स और इंडिकेटर्स का इस्तेमाल करता है,
- हिस्टोरिकल प्राइस के डाटा का एनालिसिस करता है,
- सपोर्ट और रेजिस्टेंस देखता है,
तो इन सभी चीजों को देखने के बाद जब वह ट्रेड करेगा तो काफी संभावना है कि उसे ट्रेडिंग से प्रॉफिट होगा।
टेक्निकल एनालिसिस का मकसद स्टॉक या इंडेक्स में ट्रेड के सही अवसर को तलाशना होता है ताकि उस शेयर में सही समय पर entry और exit करके पैसा कमा सकें।
तकनीकी विश्लेषण का उपयोग आप ना केवल शेयर मार्केट में बल्कि डेरिवेटिव, करंसी (Forex) और कमोडिटी मार्केट में भी कर सकते हैं। साथ ही कुछ लोग क्रिप्टो मार्केट में भी टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करते हैं।
आज मैं आपको बताऊंगा कि;
- तकनीकी विश्लेषण या टेक्निकल एनालिसिस क्या है,
- टेक्निकल एनालिसिस कितने प्रकार के होते हैं,
- इसमें क्या-क्या आता है,
- तकनीकी विश्लेषण कैसे किया जाता है,
- तकनीकी विश्लेषण में उपयोग किए जाने वाले मुख्य प्रकार के चार्ट क्या हैं?
इसके अलावा आज हम टेक्निकल एनालिसिस (Technical Analysis in hindi) से संबंधित सब कुछ विस्तार से जाने वाले हैं।
आइये सबसे पहले जानते हैं कि–
टेक्निकल एनालिसिस क्या होती है? Technical Analysis in Hindi
टेक्निकल एनालिसिस या तकनीकी विश्लेषण एक तरीका है जिसके द्वारा हम किसी शेयर के चार्ट के पुराने डेटा को देखकर उसके मूल्य (Price) के भविष्य में ऊपर या नीचे जाने का अनुमान लगाते हैं। शेयर मार्केट में स्टॉक का चार्ट पढ़ने की प्रक्रिया को ही टेक्निकल एनालिसिस कहते हैं।
मतलब टेक्निकल एनालिसिस शेयर की प्राइस हिस्ट्री या ऐतिहासिक मूल्य के डेटा के आधार पर काम करता है। Stock के चार्ट पर जो पैटर्न बनते हैं उन्हें देखकर पता चलता है कि शेयर कब खरीदना और बेचना चाहिए।
दूसरे शब्दों में, ट्रेडिंग में चार्ट, वॉल्यूम, तकनीकी इंडिकेटर, प्राइस एक्शन का विश्लेषण करके शेयर की प्राइस मूवमेंट का पता लगाना ही टेक्निकल एनालिसिस कहलाता है। टेक्निकल एनालिसिस की जरूरत शॉर्ट टर्म ट्रेडर्स को पड़ती है ना कि लॉन्ग टर्म निवेशकों को।
इसके अलावा किसी स्टॉक में कब और किस लेवल पर entry लेनी चाहिए और किस level पर exit करना चाहिए यह सब आपको Technical analysis के द्वारा ही पता चलता है।
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टेक्निकल एनालिसिस करना क्यों जरूरी है?
Why Technical Analysis is important in hindi: अगर आप स्टॉक का टेक्निकल एनालिसिस नहीं करेंगे तो आप कभी भी सफल ट्रेडर नहीं बन सकते. प्रत्येक ट्रेडर को तकनीकी विश्लेषण सीखना बहुत जरूरी है।
यह मौलिक विश्लेषण से थोड़ा अलग है। जहां एक ओर फंडामेंटल एनालिसिस में आपको कंपनी, सेक्टर और बिजनेस पर रिसर्च करनी पड़ती है वहीं टेक्निकल एनालिसिस में आपको सिर्फ प्राइस पर पूरा फोकस करना पड़ता है।
जैसा कि आप जानते हैं कि फंडामेंटल एनालिसिस में अलग-अलग सेक्टर पर अलग-अलग ढंग से रिसर्च करनी पड़ती है लेकिन टेक्निकल एनालिसिस में हर एक स्टॉक पर एक ही तरीके से रिसर्च करना होता है।
चाहे वह कोई स्टॉक हो या इंडेक्स जैसे निफ्टी, बैंकनिफ्टी कुछ भी हो सभी में टेक्निकल एनालिसिस एक समान ही रहती है। मतलब सभी में चार्ट पैटर्न, वॉल्यूम, इंडिकेटर, प्राइस एक्शन, सपोर्ट रेजिस्टेंस आदि एक ही तरीके से देखना होता है।
और इसलिए अगर आप टेक्निकल एनालिसिस करना सीख जाते हैं तो यह हर समय आपके काम आएगा चाहे फिर आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते हो या फिर कैपिटल मार्केट, कमोडिटी मार्केट क्या फॉरेक्स मार्केट में।
मतलब सभी जगह टेक्निकल एनालिसिस समान तरीके से की जाती है। और इसीलिए प्रत्येक ट्रेडर के लिए Technical analysis सीखना बहुत जरूरी है।
टेक्निकल एनालिसिस का क्या काम है?
टेक्निकल एनालिसिस करने से आपको मूल्य के व्यवहार (Price behavior) के बारे में पता चलता है मतलब किसी स्टॉक का प्राइस किस तरह से move करता है।
इसके लिए आपको बाजार का ट्रेंड पता करना आवश्यक होता है। चार्ट पर आपको तीन तरह के ट्रेंड दिखते हैं;
- पहला अपट्रेंड (जब मार्केट की दशा ऊपर की ओर होती है),
- दूसरा डाउनट्रेंड (जब मार्केट की दशा नीचे की और होती है)
- और तीसरा है sideways trend ( जब मार्केट एक ही रेंज में ऊपर नीचे होता रहता है इसे consolidated मार्केट भी कहते हैं)
नुकसान से बचने के लिए आपको कभी भी बाजार के ट्रेंड के विपरीत ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए। कुछ लोग trend reversal अर्थात trend के विपरीत जाकर भी ट्रेडिंग करते हैं उसके लिए आपको ट्रेडिंग में सभी chart patterns बारीकी से पता होना जरूरी है।
टेक्निकल एनालिसिस यह पता लगाने में काम आता है कि;
- स्टॉक का प्राइस ऊपर जाएगा और कब नीचे,
- कहां पर entry लेना है और कहां पर exit करना है,
- टारगेट और स्टॉप लॉस क्या होंगे,
- सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल क्या होंगे,
- खरीदी गई पोजीशन को किस अवधि तक होल्ड करना चाहिए,
- कौन सा इंडिकेटर क्या बताता है,
- शेयर प्राइस का मोमेंटम क्या है,
- चार्ट पर कब ब्रेकआउट और कब ब्रेकडाउन होने वाला है।
टेक्निकल एनालिसिस में इन सभी चीजों के बारे में पता चलता है लेकिन शर्त यह है कि तकनीकी विश्लेषण में उपयोग होने वाले हर एक basic terms को आप अच्छे से समझते हों जैसे– वॉल्यूम, मोमेंटम, प्राइस एक्शन, इंडिकेटर आदि
चिंता मत कीजिए इन सभी चीजों के बारे में हम नीचे आपको एक-एक करके बताने वाले हैं। उसके बाद हम जानेगें कि टेक्निकल एनालिसिस कैसे करते हैं.
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टेक्निकल एनालिसिस में क्या-क्या आता है?
सबसे पहले आपको पता होना चाहिए कि टेक्निकल एनालिसिस के अंतर्गत कौन-कौन से factors आते हैं। और उन सबका मतलब क्या है क्योंकि अगर आपको Technical analysis के basics ही नहीं पता होंगे तो आगे ट्रेडिंग करने का कोई मतलब नहीं है।
टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए आपको बहुत सारी basic terms जैसे; ट्रेडिंग वॉल्यूम, चार्ट पेटर्न, मोमेंटम, कैंडल्स, हिस्टोरिकल प्राइस, ट्रेंडलाइन, इंडिकेटर्स आदि।
आइये एक-एक करके समझते हैं–
1. ट्रेडिंग वॉल्यूम
वॉल्यूम का मतलब होता है शेयर की संख्या अर्थात किसी निश्चित समय में इसी स्टॉक में कितने शेयर को खरीदा और बेचा गया है उसे ट्रेडिंग वॉल्यूम कहते हैं।
ट्रेडिंग वॉल्यूम किसी भी अवधि का हो सकता है चाहे वह 1 दिन हो, 1 घंटा हो या 1 मिनट हो क्या करें साप्ताहिक वॉल्यूम ही क्यों ना हो।
वॉल्यूम का उपयोग किसी स्टॉक के ट्रेंड के मोमेंटम का पता लगाने में किया जाता है। इससे आपको पता चलता है कि मोमेंटम हल्का-फुल्का है या बहुत तगड़ा है मतलब फिर धीरे-धीरे करके ऊपर जाएगा या फिर बहुत तेजी से ऊपर जाएगा।
मान लीजिए किसी A स्टॉक में buying side यानी ऊपर की ओर ट्रेडिंग वॉल्यूम 1 लाख है जब किसी अन्य स्टॉक B में ऊपर की ओर ही ट्रेडिंग वॉल्यूम 5 लाख है तो स्टॉक B अधिक तेजी से ऊपर जाएगा।
मतलब जिस स्टॉक का वॉल्यूम जितना ज्यादा है उसका मोमेंटम उतना अधिक होगा चाहे वह ऊपर (buy) की ओर हो या नीचे (sell) की ओर।
इसके अलावा वॉल्यूम को देखकर पता चलता है कि;
- किसी शेयर में कितनी लिक्विडिटी है,
- किसी शेयर में कितना कारोबार हुआ है,
- किसी विशेष अवधि में स्टॉक की कितनी मात्रा ट्रेड की गई है,
- इसके अलावा ट्रेंड की ताकत का पता चलता है।
वॉल्यूम को हमेशा चार्ट के नीचे की तरफ हरी और लाल रेखाओं के द्वारा दर्शाया जाता है। अगर लाल रेखाएं ज्यादा है तो इसका मतलब है कि मार्केट में sellers ज्यादा हैं प्राइस ऊपर जा सकता है और अगर हरी रेखाएं ज्यादा है तो इसका मतलब है कि मार्केट में buyers ज्यादा हैं इसीलिए प्राइस नीचे जाने की संभावना ज्यादा है।
2. कैंडल्स
हिंदी में कैंडल्स को मोमबत्ती भी बोला जाता है और ट्रेडिंग में मोमबत्ती चार्ट बहुत पॉपुलर है। टेक्निकल एनालिसिस में कैंडल्स को समझना बहुत जरूरी है क्योंकि candles के द्वारा ही चार्ट बनते हैं।
कैंडल्स दो प्रकार की होती है;
- Red candle
- Green candle
चार्ट पर ग्रीन कैंडल बनने का मतलब है कि मार्केट बुलिश (bullish) है अर्थात बाजार में तेजी आने के संकेत हैं। और चार्ट पर रेड कैंडल बनने का मतलब है मार्केट बेरिश (bearish) है और आज मार्केट में गिरावट या मंदी के संकेत हैं।
प्रत्येक candle दो चीजों से मिलकर बनी होती है– बॉडी और विक।
Candle की बॉडी यानी शरीर वह भाग है जो आपको लाल या हरे रंग का दिखाई देता है जबकि विक यानी परछाई वह हिस्सा होता है जो कैंडल के ऊपर नीचे निकली हुई रेखाओं के रूप में दिखाई देता है।
कैंडल कई प्रकार की होती है आपने चार्ट पर देखा होगा कि;
- कोई कैंडल बड़ी तो कोई कैंडल छोटी होती है,
- किसी कैंडल की बॉडी बहुत बड़ी होती है और विक बहुत छोटी,
- जबकि किसी कैंडल की विक बहुत बड़ी होती है और बॉडी बहुत छोटी,
- किसी कैंडल की विक नीचे की तरफ बहुत बड़ी रहती है तो किसी कैंडल की ऊपर की ओर।
कैंडल के प्रकार के बारे में किसी अन्य पोस्ट में विस्तार से बात करेंगे। अभी के लिए बस इतना समझ लें कि तकनीकी विश्लेषण में कैंडल का महत्व बहुत ज्यादा है।
कैंडल्स से मिलकर ही कैंडलेस्टिक चार्ट पेटर्न्स बनते हैं। अलग-अलग टाइमफ्रेम पर अलग-अलग प्रकार की कैंडल बनती है।
कैंडल्स प्रत्येक अवधि के चार्ट पर अलग-अलग बनती है चाहे वह 1 मिनट, 5 मिनट, 15 मिनट, hourly या weekly चार्ट ही क्यों ना हो सभी पर आपको अलग-अलग कैंडल्स बनते हुए दिखाई देगी।
चार्ट पर कैंडल देखते समय आपको 4 चीजों को देखना पड़ता है– High, Low, Open, Close
- High: कैंडल का जो सबसे ऊपरी हिस्सा होता है वह high कहलाता है। कैंडल का हाई देखने से आपको पता चलता है कि प्राइस किसी टाइम फ्रेम पर यहां तक टच किया था।
- Low: कैंडल का जो सबसे निचला हिस्सा होता है वह low कहलाता है। कैंडल का लो देखने से आपको पता चलता है कि प्राइस किसी टाइम फ्रेम पर यहां तक टच था।
- Open: यहां से कैंडल बनना शुरू होता है।
- Close: यहां पर कैंडल का अंत होता है। इसके बाद अगला कैंडल बनने की शुरुआत होती है।
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3. सपोर्ट और रेसिस्टेंट
- Support: जब स्टॉक का मूल्य दो या दो से अधिक बार किसी निश्चित प्राइस लेवल को छूकर ऊपर जाता है तो उसे हम support कहते हैं।
- Resistance: जब स्टॉक का मूल्य दो या दो से अधिक बार किसी निश्चित प्राइस लेवल को छूकर नीचे जाता है तो उसे हम Resistance कहते हैं।
4. चार्ट पैटर्न
टेक्निकल एनालिसिस करते समय जब आप चार्ट देखते हैं तो आपको अलग अलग पैटर्न बनते हुए दिखते होंगे। कुछ चार्ट पेटर्न्स के बारे में नीचे बताया गया है-
1. Double Top chart pattern:
जब किसी चार्ट पर प्राइस दो बार किसी same प्राइस लेवल या resistance को टच करके नीचे चला जाता है तो डबल टॉप चार्ट पैटर्न बनता है। यह पैटर्न चार्ट पर ‘M’ के आकार का दिखता है।
इसी प्रकार जब भाव 3 बार उसी रेजिस्टेंस को टच कर के नीचे जाता है तो उसे Triple Top चार्ट पैटर्न बोलते हैं।
2. Double Bottom chart pattern:
जब किसी चार्ट पर प्राइस दो बार किसी same support को टच करके ऊपर की ओर चला जाता है तो डबल टॉप चार्ट पैटर्न बनता है। यह पैटर्न चार्ट पर ‘M’ के आकार का दिखता है।
इसी प्रकार जब स्टॉक का मूल्य 3 बार उसी same support को टच कर के ऊपर जाता है तो उसे Triple Bottom चार्ट पैटर्न बोलते हैं।
3. Reversal chart pattern
कोई अपट्रेंड या डाउनट्रेंड लगातार चल रहा है और अचानक से ट्रेंड रिवर्स होना चालू हो जाता है तो उसे हम reversal chart pattern बोलते हैं।
इसके अलावा भी बहुत सारे चार्ट पैटर्न्स होते हैं जैसे; हेड एंड शोल्डर पेटर्न, बुलिश एंगल्फिंग पैटर्न, बेरिश एंगल्फिंग पैटर्न, फ्लैग पैटर्न आदि इन सभी के बारे में उदाहरण सहित विस्तार से जानने के लिए नीचे दी गई पोस्ट पढ़ सकते हैं-
- Chart Patterns in hindi (सभी शेयर मार्केट ट्रेडिंग चार्ट पेटर्न के बारे में उदाहरण सहित पूरी जानकारी)
- Candlestick Chart Patterns in Hindi (22 बेस्ट कैंडलेस्टिक पेटर्न उदाहरण सहित पूरी जानकारी)
- Chart Patterns PDF Free Download in Hindi
- Chart Patterns Cheat Sheet PDF Download Free
5. मोमेंटम
मोमेंटम किसी स्टॉक या इंडेक्स के ट्रेंड की गति या चाल को दर्शाता है। यह बताता है कि कोई trend कितना ताकतवर है। अगर कोई ट्रेंड धीरे-धीरे ऊपर या नीचे जा रहा है तो इसका मतलब है कि उस ट्रेंड का मोमेंटम कम है और अगर ट्रेड बहुत तेजी से ऊपर या नीचे जा रहा है इसका मतलब है कि मार्केट में मोमेंटम ज्यादा है।
बस मोमेंटम आपको इतना ही बताता है। ऐसा माना जाता है कि अगर आप ज्यादा मोमेंटम वाले स्टॉक में ट्रेड करेंगे तो कम मोमेंटम वाले स्टॉक की करना है जल्दी पैसा कमा पाएंगे।
इसलिए आपको अधिक मोमेंटम वाले स्टॉक्स में ही ट्रेडिंग करना चाहिए।
6. हिस्टोरिकल प्राइस
हिस्टोरिकल प्राइस का मतलब पिछला मूल्य होता है। आपने 52 वीक हाई और 52 वीक लो के बारे में तो जरूर सुना होगा इसको ही हिस्टोरिकल प्राइस कहते हैं जिसकी मदद से हमें भविष्य के संभावित मूल्य का अनुमान लगाने में मदद मिलती है।
अगर कोई स्टॉक अपने 52 वीक हाई को ब्रेक कर देता है तो उस समय उस स्टॉक में एंट्री करना अच्छा माना जाता है क्योंकि वहां से आपको अच्छा खासा uptrend देखने को मिल सकता है।
ठीक इसी प्रकार जब कोई स्टॉक अपने 52 week Low को तोड़ देता है तो उस समय उस स्टॉक में एंट्री (short sell) करना अच्छा माना जाता है क्योंकि वहां से आपको अच्छा खासा downtrend ट्रेंड देखने को मिल सकता है।
(जी हां आप डाउनट्रेंड से भी पैसा कमा सकते हैं शॉर्ट सेलिंग करके, या फिर ऑप्शन ट्रेडिंग में पुट ऑप्शन खरीदकर)
7. ट्रेंडलाइन
जवाब किसी चार्ट पर टेक्निकल एनालिसिस करते हैं तो हमें ट्रेंडलाइन draw करने की जरूरत होती है। दो तरह की trendline होती हैं– Horizontal और Vertical
ट्रेंडलाइन का उपयोग यह सभी चीजें पता करने में किया जाता है–
- चार्ट पर सपोर्ट और रेजिस्टेंस का पता करने के लिए,
- प्राइस कहां से कितना ऊपर या नीचे जा सकता है,
- किस लेवल से ब्रेकआउट और ब्रेकडाउन हो सकता है,
- इसके अलावा अलग-अलग चार्ट पेटर्न्स को पहचानने में ट्रेंडलाइन का उपयोग किया जाता है।
8. इंडिकेटर्स
टेक्निकल एनालिसिस में इंडिकेटर्स बहुत सारे होते हैं जो आपको प्राइस मूवमेंट का अनुमान लगाने में मदद करते हैं। साथ ही यह आपको स्टॉक में कहां पर प्रवेश करना है और कहां पर बाहर निकलना है यह भी बताते हैं। इंडिकेटर्स को तकनीकी संकेतक या ऑसीलेटर्स भी बोला जाता है।
शेयर मार्केट में सबसे ज्यादा पॉपुलर और सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला तकनीकी संकेतक RSI यानी रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स इंडिकेटर है। जो ओवरबॉट और ओवरसोल्ड जोन बताता है।
इसके अलावा मूविंग एवरेज, बोलिंगर बैंड और MACD भी काफी ज्यादा प्रयोग में लाए जाने वाले इंडिकेटर्स है।
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टेक्निकल एनालिसिस कितने प्रकार की होती है?
टेक्निकल एनालिसिस दो प्रकार से किया जाता है;
- चार्ट पैटर्न को पढ़कर
- इंडिकेटर्स को देखकर
1. चार्ट पैटर्न के द्वारा
इस तरीके में आपको टेक्निकल एनालिसिस करते समय अलग-अलग प्रकार के चार्ट पेटर्न का विश्लेषण करना पड़ता है। विभिन्न प्रकार के शेयर मार्केट चार्ट को study करना और समझना पड़ता है।
इस तकनीकी विश्लेषण में चार्ट पर बन रहे अलग-अलग पैटर्न को देखकर सपोर्ट और रेजिस्टेंस एरिया का पता लगाया जाता है।
2. इंडिकेटर्स के द्वारा
कुछ लोग टेक्निकल एनालिसिस में सिर्फ इंडिकेटर या तकनीकी संकेतक का उपयोग करके ट्रेडिंग करते हैं। उन्हें चार्ट पेटर्न से कोई मतलब नहीं होता है। अगर इंडिकेटर इशारा कर रहा है कि भविष्य में किसी स्टॉक की कीमत ऊपर जा सकती है तो वह ट्रेडर्स उस स्टॉक को खरीद लेते हैं।
और जब वह इंडिकेटर ट्रेंड रिवर्सल का संकेत देता हैं तो ट्रेडर उस स्टॉक से exit होकर प्रॉफिट बुक कर लेते हैं।
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टेक्निकल एनालिसिस में चार्ट कितने प्रकार के होते हैं?
अगर आप टेक्निकल एनालिसिस में सिर्फ चार्ट को देखकर ट्रेडिंग करते हैं तो आपको अलग-अलग चार्ट और चार्ट पैटर्न के बारे में पता होना बहुत जरूरी है।
शेयर मार्केट में 3 तरह के चार्ट होते हैं–
- लाइन चार्ट: शेयर बाजार में लाइन चार्ट सबसे सिंपल चार्ट होता है। जब आप किसी चार्ट के बारे में सोचते हैं तो आपके मन में लाइन चार्ट ही आता है। इस चार्ट में आपको केवल प्राइस और ट्रेडिंग वॉल्यूम के बारे में जानकारी मिलती है।
- बार चार्ट: इस चार्ट में लाइन चार्ट से अधिक जानकारी मिलती है। बार चार्ट vertical (खड़ी) रेखाओं से मिलकर बना होता है। प्रत्येक vertical line पर दो horizontal line होती हैं जो open और close प्राइस को दर्शाती हैं। vertical line का सबसे ऊपरी हिस्सा High और सबसे निचला हिस्सा Low कहलाता है।
- कैंडलस्टिक चार्ट: टेक्निकल एनालिसिस में यह ट्रेडर्स के बीच सबसे पॉपुलर चार्ट है क्योंकि कैंडलेस्टिक चार्ट में आप को सबसे ज्यादा information मिलती है। कैंडल्स के बारे में हम पहले ही बात कर चुके हैं। यह चार्ट अलग-अलग प्रकार की लाल और हरी कैंडल्स से मिलकर बना होता है। इसे मोमबत्ती चार्ट भी कहते हैं क्योंकि चार्ट पर जो कैंडल बनती हैं उनका आकार बिल्कुल मोमबत्ती की तरह होता है।
स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण कैसे करें? (Technical Ananlysis of a stock in hindi)
चार्ट पर किसी शेयर का टेक्निकल एनालिसिस कैसे करें;
- कैंडलस्टिक पैटर्न्स देखें
- अलग-अलग समय अवधि पर चार्ट देखें
- चार्ट पेटर्न को पढ़ने की कोशिश करें
- सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल पता करें
- ट्रेडिंग में तकनीकी टूल्स का उपयोग करें
- स्टॉक में सही समय पर एंट्री का पता करें
- पता करो कि किस टारगेट प्राइस पर एग्जिट करना है
- स्टॉप लॉस जरूर लगाएं
- अलग-अलग तकनीकी संकेतक का उपयोग करें
1. कैंडलस्टिक पैटर्न्स देखें
वैसे तो कैंडलस्टिक पेटर्न बहुत सारे होते हैं लेकिन यहां पर हम 3 सबसे जरूरी कैंडलेस्टिक पेटर्न के बारे में बात करने वाले हैं–
- बुलिश इंगल्फिंग पैटर्न
- बेरिश इंगल्फिंग पैटर्न
- हैमर पैटर्न
1. बुलिश इंगल्फिंग पैटर्न
जब भी ट्रेडिंग चार्ट पर कोई ऐसी ग्रीन कैंडल बनती है जिसकी बॉडी काफी बड़ी होती है तो उसे हम बुलिश इंगल्फिंग कैंडल कहते हैं। जब चार्ट पर ऐसी कैंडल दो या दो से अधिक बार बनती है तो उसे बुलिश इंगल्फिंग पैटर्न (bullish engulfing pattern) बोला जाता है।
यह एक ब्रेकआउट पैटर्न है मतलब जब भी हमें चार्ट पर बुलिश इंगल्फिंग पैटर्न दिखे तो आपको buy करना है। क्योंकि यह पैटर्न बताता है कि मार्केट में तेजी आने वाली है।
2. बेरिश इंगल्फिंग पैटर्न
जब भी ट्रेडिंग चार्ट पर कोई रेड ग्रीन कैंडल बनती है जिसकी बॉडी काफी बड़ी होती है तो उसे हम बेरिश इंगल्फिंग कैंडल कहते हैं। जब चार्ट पर ऐसी कैंडल दो या दो से अधिक बार बनती है तो उसे बेरिष इंगल्फिंग पैटर्न (bearish engulfing pattern) बोला जाता है।
यह एक breakdown पैटर्न है मतलब जब भी हमें चार्ट पर बेरिश इंगल्फिंग पैटर्न दिखे तो आपको sell करना है। क्योंकि यह पैटर्न बताता है कि मार्केट में गिरावट होने वाली है।
3. हैमर पैटर्न
जब किसी candle की बॉडी बहुत छोटी होती है लेकिन उसकी विक नीचे की ओर बहुत बड़ी होती है तो उसे हम हैमर कैंडल बोलते हैं। जब चार्ट पर हैमर कैंडल दो या दो से अधिक बार बनती है तो उसे हैमर पैटर्न (hammer pattern) बोला जाता है। इसे pin bar pattern भी कहते हैं।
क्योंकि इस कैंडल की विक या छाया देखने में एक पिन की तरह लगती है। यह pin प्राइस रिजेक्शन को दर्शाती है इसका मतलब है कि जिस और यह पिन बनती है प्राइस उस तरफ नहीं जाना चाहता है। अगर प्राइस का डायरेक्शन नीचे है तो इसका सिंपल मतलब है कि मार्केट नीचे नहीं जाना चाहता।
और इसकी बॉडी पावर को दर्शाती है मतलब अगर बॉडी Green है तो यह bulls की पावर को दर्शाती है और अगर बॉडी Red है तो यह बताती है कि मार्केट में bears हावी हैं।
इसी तरह अगर bearish hammer candle बनती है मतलब की बॉडी लाल होती है और विक ऊपर की ओर बहुत बड़ी होती है वह कैंडल मार्केट में sellers की ताकत को दर्शाती है।
अभी के लिए आप बस इतना समझ लीजिए कि hammer कैंडल की विक जितनी बड़ी होती है मार्केट में buy या sell का संकेत उतना ही मजबूत होता है।
मतलब जिस तरफ पिन है मार्केट उस तरफ नहीं जाना चाहता इसलिए आपको पिन या विक के विपरीत दिशा में ट्रेड करना है।
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कैंडलस्टिक पेटर्न के बारे में सबसे आसान भाषा में और उदाहरण के साथ सीखने के लिए आपको नीचे दी गई किताब जरूर पढ़नी चाहिए जो अब तक की कैंडलस्टिक पर लिखी गई सबसे बेस्ट किताब है. नीचे दिए इमेज पर क्लिक करके आप इस किताब को डाउनलोड कर सकते हैं―
2. अलग-अलग टाइम फ्रेम पर चार्ट देखें
मार्केट में अलग-अलग ट्रेडर्स को अलग-अलग टाइमफ्रेम पर ट्रेड करना चाहिए।
बाजार में दो तरह के ट्रेडर होते हैं-
- इंट्राडे ट्रेडर
- स्विंग ट्रेडर
- इंट्राडे ट्रेडर: इंट्रा डे ट्रेडर वह होता है जो उसी दिन अपनी सभी पोजीशन को close कर देता है। मतलब जो सुबह 9 बजे से 3:30 बजे के बीच ट्रेड करता है मतलब वह अगले दिन के लिए होल्ड नहीं करता है उसे हम intraday trader कहते हैं।
- स्विंग ट्रेडर: स्विंग ट्रेडर वह व्यक्ति होता है जो 1 दिन से अधिक के लिए ट्रेड करता है हो सकता है वह 2 दिन, 1 सप्ताह, 15 दिन या 1 महीना। तो इस प्रकार ट्रेड करने वाला व्यक्ति swing trader कहलाता है।
अब बात करते हैं कि किस ट्रेडर के लिए चार्ट पर कौन सा टाइम फ्रेम बेस्ट है मतलब आपको chart पर किस टाइमफ्रेम को अप्लाई करके ट्रेडिंग करनी चाहिए ताकि अधिक से अधिक फायदा हो।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए बेस्ट टाइम फ्रेम–
अगर आप एक इंट्राडे ट्रेडर हैं तो आपके लिए 5 मिनट का टाइम फ्रेम बेस्ट है। इसके अलावा आप 15 मिनट का टाइमफ्रेम भी इस्तेमाल कर सकते हैं। मतलब इंट्रा डे ट्रेडर को 5 मिनट या 15 मिनट के चार्ट पर ही ट्रेड करना चाहिए
कुछ लोग इंट्राडे ट्रेडिंग में 1 घंटे वाला चार्ट देखते हैं और बाद में जब कोई अच्छा ट्रेड नहीं मिलता है जिससे उन्हें नुकसान होता है।
आपको समझना होगा कि 1 hour चार्ट पर 1 घंटे में सिर्फ एक कैंडल बनती है जबकि इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको बहुत शॉर्ट टाइम में ट्रेडिंग करनी पड़ती है। और इसीलिए जब आप hourly चार्ट देखते हैं तो आपको मार्केट में प्राइस मूवमेंट का सही अंदाजा नहीं मिलता।
इसलिए इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय हमेशा 5 मिनट और 15 मिनट के चार्ट का ही उपयोग करें।
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स्विंग ट्रेडिंग के लिए बेस्ट टाइम फ्रेम–
स्विंग ट्रेडिंग में चार्ट पर 1 घंटे का टाइम फ्रेम देखना सबसे अच्छा होता है। लेकिन अगर आप क्रिप्टो या फॉरेक्स मार्केट में ट्रेड करते हैं तो 4 hour यानी 4 घंटे टाइम फ्रेम का चार्ट देखना बेस्ट रहता है।
(आपको पता होगा कि क्रिप्टो और फॉरेक्स मार्केट 24 घंटे खुले रहते हैं इसीलिए 4 घंटे का चार्ट उनमें सबसे अच्छी तरीके से काम करता है जबकि स्टॉक मार्केट में 4 घंटे का चार्ट देखने का कोई मतलब नहीं बनता)
अगर आप शेयर मार्केट में भी कुछ हफ्ते या महीने के लिए स्विंग ट्रेडिंग करते हैं तो 1 दिन टाइम फ्रेम का चार्ट आपके लिए बेस्ट होता है।
अब तक हमने बात की इंट्राडे और स्विंग ट्रेडिंग में बेस्ट टाइम फ्रेम कौन सा उपयोग करना चाहिए।
लेकिन याद रखिए; किसी भी चार्ट पर जब आपको आप सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल पता करने होते हैं तो 15 मिनट का टाइम फ्रेम सबसे बेस्ट होता है।
जबकि अगर आप कैंडलस्टिक चार्ट पेटर्न को देखकर ट्रेड करते हैं तो 5 मिनट टाइम फ्रेम का चार्ट देखना सबसे अच्छा होता है।
3. सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल पता करें
जब प्राइस किसी लेवल से टकराकर बार-बार रिवर्स (reverse) होता है तो वह ट्रेडिंग में एक विशेष लेवल होता है।
- अगर किसी लेवल से प्राइस बार-बार टकराकर को ऊपर जा रहा है मतलब प्राइस किसी विशेष लेवल से नीचे जाने को तैयार नहीं है तो वह सपोर्ट लेवल कहलाता है।
- और जब price किसी लेवल से बार-बार टकराकर को नीचे जा रहा है तो वह रेजिस्टेंस लेवल कहलाता है।
जब प्राइस किसी रेजिस्टेंस लेवल को तोड़ देता है और या वह नया resistance बनाता है तो पुराना रेजिस्टेंस अब उसका सपोर्ट लेवल बन जाता है।
तो अब आप सपोर्ट और रेजिस्टेंस को समझ गए होंगे कि सपोर्ट किसी प्राइस को गिरने नहीं देता है और रेजिस्टेंस किसी प्राइस को बढ़ने नहीं देता है।
4. चार्ट पेटर्न को पढ़ने की कोशिश करें
टेक्निकल एनालिसिस में कुछ लोग सिर्फ चार्ट पेटर्न देखकर ट्रेडिंग करते हैं। वैसे तो ट्रेडिंग में बहुत सारे चार्ट पेटर्न होते हैं जिनके बारे में हम पहले ही बात कर चुके हैं।
लेकिन मैं आपको दोबारा याद दिला दूं कि डबल टॉप और डबल बॉटम चार्ट पेटर्न सबसे ज्यादा important होते हैं।
अगर डबल टॉप चार्ट पेटर्न बनता है तो इसका मतलब है कि आपको शार्ट सेल करना है क्योंकि इस चार्ट पैटर्न में आप Top पर एंट्री ले सकते हैं और bottom पर sell करके प्रॉफिट कमा सकते हैं।
ठीक इसी प्रकार अगर डबल बॉटम चार्ट पेटर्न बनता है तो इसका मतलब है कि आपको buy करना है। इस चार्ट पैटर्न में आप bottom पर एंट्री ले सकते हैं और ऊपर की ओर किसी टारगेट पर exit करके प्रॉफिट कमा सकते हैं।
डबल टॉप और बॉटम चार्ट पेटर्न के अलावा आप हेड एंड शोल्डर और फ्लैग चार्ट पेटर्न का भी उपयोग कर सकते हैं।
चार्ट पैटर्न को समझने और identify करने के लिए आपको चार्ट पर trendline खींचना पड़ता है जिससे किसी विशेष trend का पता चलता है।
Tradingview वेबसाइट पर आपको चार्ट का उपयोग करने के लिए सभी महत्वपूर्ण ट्रेडिंग टूल मिल जाएंगे।
जब आप किसी सपोर्ट या रेजिस्टेंस पर ट्रेंडलाइन बनाते हैं और अगर प्राइस उस ट्रेंडलाइन के ऊपर या नीचे जाता है तो वह ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन का संकेत होता है।
और ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन होने पर आप शेयर में एंट्री ले सकते हैं और बहुत चांसेस होते हैं कि स्टॉक में बड़ी रैली देखने को मिलेगी फिर चाहे वह आप uptrend में हो या downtrend में।
शुरुआती ट्रेडर्स को लगता है कि वह सिर्फ uptrend से ही पैसा कमा सकते हैं लेकिन आप शॉर्ट सेलिंग करके डाउनट्रेंड से भी अच्छा खासा पैसा कमा सकते हैं। मतलब मार्केट में तेजी हो या मंदी कोई फर्क नहीं पड़ता, आप दोनों ही situation में टेक्निकल एनालिसिस के जरिए ट्रेडिंग करके पैसा कमा सकते हैं।
5. स्टॉक में सही समय पर एंट्री का पता करें
टेक्निकल एनालिसिस में जब आप डबल टॉप चार्ट पेटर्न को देखकर ट्रेडिंग करते हैं तो ब्रेक आउट पर जब बुलिश इंगल्फिंग कैंडल बनती है तो इस कैंडल के हाई पर आपको buy करना है मतलब उस स्टॉक में एंट्री लेनी है।
मतलब buy आपको केवल ब्रेकआउट पर करना है
या फिर जब डबल बॉटम चार्ट पेटर्न पर सपोर्ट लेवल पर बड़ी green candle बने तब buy करना है।
अब आप समझ चुके होंगे किसी स्टॉक में एंट्री कब और किस समय लेना चाहिए।
अब बात करते हैं स्टॉक से exit कब और किस समय करना चाहिए मतलब स्टॉक को खरीदने के बाद टारगेट क्या होना चाहिए।
6. पता करो कि टारगेट प्राइस पर कहां एग्जिट करना है
स्टॉक का अगला रेजिस्टेंस लेवल ही आपका टारगेट होना चाहिए जिस पर आप अपनी पोजीशन को exit कर सकते हैं। अगर आप स्विंग ट्रेडिंग करते हैं तो आपको सपोर्ट पर entry लेकर resistance पर exit करना चाहिए।
अब जरूरी नहीं है कि सपोर्ट या रेजिस्टेंस लेवल बिल्कुल exact ही होगा बल्कि है थोड़ा बहुत ऊपर नीचे भी हो सकता है।
इसलिए आपने कई बार बार देखा होगा कि प्राइस सपोर्ट लेवल तक भी नहीं आ पाता और buying शुरू हो जाती है मतलब सपोर्ट लेवल के नजदीक आते ही स्टॉक ऊपर जाना शुरू हो जाता है।
ठीक ऐसा ही रेजिस्टेंस पर भी देखने को मिलता है।
लेकिन चिंता मत कीजिए मार्केट में ट्रेडिंग करते करते आपको इन सभी चीजों का अनुभव हो जाएगा।
7. Stop Loss जरूर लगाएं
आप कितनी भी टेक्निकल एनालिसिस क्यों ना कर लें अगर आप स्टॉपलॉस नहीं लगाते हैं तो आपका पूरा कैपिटल एक ही झटके में खत्म हो सकता है। इसलिए ट्रेडिंग करते समय स्टॉपलॉस लगाना बहुत जरूरी होता है।
लेकिन अब सवाल आता है कि स्टॉप लॉस कहां पर लगाना चाहिए?
मान लीजिए आपने किसी स्टॉक में 350 रुपये के भाव पर एंट्री ली है ओर 390 आपका टारगेट प्राइस है तो आपका स्टॉप लॉस 330 होगा।
तो यह हमने कैसे निकाला?
आपको बस यह देखना होता है कि जो आप का टारगेट प्राइस है स्टॉप लॉस हमेशा उसका आधा होना चाहिए।
जैसे; ऊपर हमने देखा कि आपका टारगेट 40 रुपये (350 rs से 390 rs) था तो इसीलिए stoploss हुआ 40/2 = 20 रुपये।
लगभग सभी ट्रेडर्स इसी मेथड का उपयोग करके से स्टॉप लॉस लगाते हैं।
लेकिन अगर आप बहुत ज्यादा कैंडलेस्टिक चार्ट पेटर्न को देखकर ट्रेडिंग करते हैं तो आपको सपोर्ट और रेजिस्टेंस को देखकर स्टॉपलॉस लगाना होता है जैसे;
- अगर आपने रेजिस्टेंस लेवल पर शार्ट सेल किया है जब उसने रेजिस्टेंस से प्राइस गिरना शुरू होता है तो चार्ट के सपोर्ट पर जो आखिरी कैंडल बनी है उस कैंडल का low आपका stop loss होना चाहिए।
आशा करता हूं अब आप स्टॉपलॉस का कांसेप्ट समझ गए होंगे।
8. अलग-अलग तकनीकी इंडिकेटर्स का उपयोग करें
जैसा कि मैंने बताया था टेक्निकल एनालिसिस करते समय लोग दो तरह से ट्रेडिंग करते हैं-
चार्ट पेटर्न को देखकर और इंडिकेटर्स को देखकर। अब तक हमने चार्ट पेटर्न्स के द्वारा तकनीकी विश्लेषण करने की बात की अब इंडिकेटर्स के बारे में बात कर लेते हैं.
शेयर मार्केट में इंडिकेटर्स को ऑसिलेटर्स या तकनीकी संकेतक भी कहते हैं। इंडिकेटर्स आपको किसी निश्चित प्राइस के ऊपर खरीद या बेचने का संकेत देते हैं। इंडिकेटर्स को आप किसी भी स्टॉक या इंडेक्स (निफ्टी, बैंकनिफ्टी) के चार्ट पर अप्लाई कर सकते हैं।
आइए कुछ महत्वपूर्ण इंडिकेटर्स के बारे में बात कर लेते हैं–
1. RSI indicator
शेयर मार्केट ट्रेडिंग में RSI (रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स) इंडिकेटर ट्रेडर्स के बीच सबसे ज्यादा पॉपुलर है। यह चार्ट पर एक रेखा के रूप में दिखता है जो मार्केट की दिशा के अनुसार ऊपर नीचे होती रहती है।
यह 0 से 100 के बीच एक सिंगल रेखा होती है जो बाजार में ओवरबॉट और ओवरसोल्ड जोन को बताती है।
अगर किसी स्टॉक का RSI 70 से ऊपर है तो वह overbought मार्केट को दर्शाता है मतलब मार्केट में बहुत ज्यादा खरीदारी हो चुकी है और अब संभावना है कि लोग अपने खरीदे गए स्टॉक sell करेंगे।
अगर RSI 30 से नीचे है बाजार ओवरसोल्ड (oversold) माना जाता है मतलब मार्केट में बहुत ज्यादा बिकवाली हो चुकी है और अब तेजी की संभावना है।
2. ADX indicator
ADX यानी एवरेज डायरेक्शनल इंडेक्स ट्रेडिंग में इस्तेमाल होने वाला वह इंडिकेटर है जो ट्रेंड की मजबूती को दर्शाता है। इंडिकेटर की वैल्यू 0 से 100 के बीच होती है। वैल्यू जितनी ज्यादा होगी ट्रेड उतना ही ताकतवर होगा।
ADX इंडिकेटर में कुल 3 रेखाएं होती हैं जो पॉजिटिव और नेगेटिव मार्केट की डायरेक्शन के बारे में बताती हैं।
3. Moving Average
मूविंग एवरेज वह तकनीकी इंडिकेटर या ट्रेडिंग टूल है जो पिछले प्राइस कि मूवमेंट का एनालिसिस करके आपको ट्रेडिंग करने का अवसर प्रदान करता है। ट्रेडिंग चार्ट पर यह एक रेखा के रूप में नजर आता है।
ट्रेडर्स अलग-अलग समय अंतराल के मूविंग एवरेज का इस्तेमाल करते हैं जैसे- ma5, ma10, ma20
- ma5 का मतलब है 5 दिन का मूविंग एवरेज मतलब यह 5 दिन की एवरेज प्राइस मूवमेंट को दर्शाता है। इसी प्रकार ma10 और ma20 10 और 20 दिन के मूविंग एवरेज हैं।
मूविंग एवरेज इंडिकेटर पिछले प्राइस की मूवमेंट को ट्रैक्टर के भविष्य के प्राइस की मूवमेंट का अनुमान लगाने में मदद करता है। अधिकतर समय इस इंडिकेटर की भविष्यवाणी सही होती है इसीलिए बहुत सारे लोग चार्ट पर मूविंग एवरेज तकनीकी संकेतक का उपयोग करते हैं।
4. VWAP
VWAP का मतलब होता है वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस. यह तकनीकी संकेतक भी चार्ट पर एक रेखा के रूप में दिखाई देता है। vwap इंडिकेटर यह बताता है कि अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस पर किसी स्टॉक के प्राइस पर कहां पर वॉल्यूम ज्यादा है और कहां पर कम।
मतलब जब प्राइस VWAP रेखा के नजदीक आता है तो वहां से स्टॉक में entry के चांसेस होते हैं। बहुत बार प्राइस सिर्फ vwap से टकराकर वापस लौट जाता है यह मैटर नहीं करता uptrend या downtrend दोनों ही सिचुएशन में आप इस टेक्निकल इंडिकेटर का फायदा उठा सकते हैं।
अधिकतर लोग ऑप्शन ट्रेडिंग में VWAP इंडिकेटर का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि उसमें अलग-अलग प्राइस पर call और put ऑप्शन खरीदने में भी vwap काफी महत्वपूर्ण जानकारी देता है।
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अब तक आप टेक्निकल एनालिसिस के बारे में काफी चीजें जान चुके होंगे जैसे– टेक्निकल एनालिसिस के बेसिक terms, अलग-अलग टूल्स, इंडिकेटर्स, चार्ट पेटर्न्स आदि।
टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए लोग इनके अलावा भी बहुत कुछ कर सकते हैं जैसे; टेक्निकल एनालिसिस की बुक्स पढ़ना, सफल ट्रेडर्स को फॉलो करना, रिस्क मैनेजमेंट सीखना, ट्रेडिंग साइकोलॉजी पर फोकस करना आदि।
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टेक्निकल एनालिसिस करने के फायदे
Adavanges of Technical Analysis in hindi:
- टेक्निकल एनालिसिस करने का सबसे पहला फायदा यह है कि आपको पहले ही पता चल जाता है कि प्राइस ऊपर जाएगा या नीचे।
- टेक्निकल एनालिसिस आपको प्राइस की संभावित मूवमेंट पता लगाने में मदद करता है।
- इसकी मदद से आप बहुत कम समय में बहुत ज्यादा पैसा कमा सकते हैं।
- मार्केट में तेजी या मंदी का पता पहले ही चल जाता है।
- ट्रेंड रिवर्सल का पता लगाने में मदद मिलती है।
चार्ट पर अगली कैंडल कौन सी बनेगी, यह पता लगा सकते हैं। - किसी स्टॉक के प्राइस behaviour का पता आसानी से लगा सकते हैं।
- स्टॉक में एंट्री और एग्जिट फाइंड आसानी से पता लगा सकते हैं।
- चार्ट पेटर्न पढ़ना और ट्रेंड की मदद से ट्रेडिंग करना आसान हो जाता है।
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FAQ’s About Technical Analysis in Hindi
तकनीकी विश्लेषण मौलिक विश्लेषण से किस प्रकार अलग है?
मालिक विश्लेषण में आपको किसी कंपनी के शेयर की बिक्री कमाई और उसके व्यापार का एनालिसिस करना पड़ता है जबकि तकनीकी विश्लेषण अर्थात टेक्निकल एनालिसिस में आपको स्टॉक के चार्ट, मूल्य, तकनीकी सॉफ्टवेयर और प्राइस मूवमेंट का एनालिसिस करना पड़ता है।
तकनीकी विश्लेषण में उपयोग किए जाने वाले मुख्य प्रकार के चार्ट क्या हैं?
बार चार्ट, लाइन चार्ट और कैंडलेस्टिक चार्ट टेक्निकल एनालिसिस में उपयोग किए जाने वाले तीन प्रमुख चार्ट हैं।
तकनीकी विश्लेषण की विशेषता क्या है?
तकनीकी विश्लेषण की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें आपको अलग-अलग कंपनियों पर अलग-अलग तरीके से रिसर्च करने की जरूरत नहीं होती बल्कि एक ही प्रकार की टेक्निकल एनालिसिस प्रत्येक चार्ट पर काम आ सकती है।
टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए सबसे अच्छा उपकरण कौन सा है?
टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए सबसे ज्यादा लोग ट्रेडिंगव्यू वेबसाइट का इस्तेमाल करते हैं इसे आप तकनीकी विश्लेषण का सबसे अच्छा उपकरण मान सकते हैं। क्योंकि इस वेबसाइट पर आपको टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए सभी जरूरी ट्रेडिंग टूल्स मिल जाएंगे।
निष्कर्ष (Technical Analysis in hindi)
इस लेख (Technical Analysis in Hindi) में मैंने आपको बताया कि शेयर मार्केट में टेक्निकल एनालिसिस क्या होती है और टेक्निकल एनालिसिस कैसे करते हैं? इस पोस्ट में मैंने कोशिश की है कि आपको Basics of technical analysis पता चल सकें।
अगर आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते हैं तो मुझे पूरा विश्वास है कि यह आर्टिकल आपके लिए बहुत उपयोगी रहा होगा।
अगर आपका टेक्निकल एनालिसिस से संबंधित कोई सवाल हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर पूछिए।
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पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏
मेरा नाम Dilip Suthar है और मैं इस ब्लॉग का Founder हूं। यहां पर मैं अपने पाठकों के लिए नियमित रूप से शेयर मार्केट, निवेश और फाइनेंस से संबंधित उपयोगी जानकारी शेयर करता हूं। ❤️
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